जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली से नहीं हो रहा मोह भंग, बंगला छोड़ने से इनकार, हाईकोर्ट ने पुलिस को दिया यह निर्देश
जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर हो चुका है. जस्टिस वर्मा इसके बावजूद दिल्ली का अपना बंगला छोड़ने को तैयार नहीं हैं. विवादों में घिरे वर्मा की सुरक्षा अभी भी दिल्ली के उनके बंगले में मौजूद है.
नई दिल्ली । कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला अब दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया है। राजधानी छोड़ने के बावजूद विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। जस्टिस वर्मा अब एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल जस्टिस वर्मा ने दिल्ली स्थित अपना बंगला छोड़ने से इनकार कर दिया है। वह इसे अपने पास रखना चाहते हैं। भविष्य में भी वह दिल्ली आते-जाते रहेंगे। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ऑफिस ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि राजधानी स्थित उनके बंगले में पहले की तरह पुलिस और सीआरपीएफ की सुरक्षा बरकरार रखी जाए।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस वर्मा का तबादला 28 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया था। यह कदम 14 मार्च को उनके दिल्ली स्थित आवास में लगी आग के बाद जले हुए नोटों की बरामदगी के बाद उठाया गया है। 5 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) एसपी गुप्ता ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर कहा, 'जस्टिस वर्मा, जिन्हें अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है, दिल्ली में अपना सरकारी बंगला बरकरार रखेंगे। उनकी इच्छा के मुताबिक, जब तक वह बंगला अपने पास रखेंगे, बंगले पर सीआरपीएफ सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जारी रहनी चाहिए।'
क्या कहते हैं दिल्ली पुलिस के नियम?
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है। गृह मंत्रालय की 'येलो बुक' गाइडलाइन के मुताबिक, किसी व्यक्ति के ट्रांसफर के एक महीने बाद सुरक्षा वापस ले लेनी चाहिए। जस्टिस वर्मा को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है, जिसमें दिल्ली पुलिस के तीन सुरक्षाकर्मी और सीआरपीएफ के जवान शामिल होते हैं। जस्टिस वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद के रहने वाले हैं। उनका दिल्ली से कोई सीधा संबंध नहीं है। राजधानी से कोई मौजूदा संबंध न होने के बावजूद सुरक्षा जारी रखने का फैसला सवाल खड़े कर रहा है। यह विशेषाधिकार है या अनिवार्यता? इस पर बहस तेज हो गई है।
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